ऋग्वेद (मंडल 9)
उ॒स्रा वे॑द॒ वसू॑नां॒ मर्त॑स्य दे॒व्यव॑सः । तर॒त्स म॒न्दी धा॑वति ॥ (२)
इस सोम की धन देने वाली व दीप्तियुक्त धारा यजमान की रक्षा करना जानती है. स्तोताओं को पाप से बचाने वाले एवं देवमदकारी सोम गति करते हैं. (२)
The money-giving and glistening stream of this mon knows how to protect the host. Those who save the Psalms from sin and the Devmadkari Som do the motion. (2)