ऋग्वेद (मंडल 9)
अ॒प॒घ्नन्प॑वसे॒ मृधः॑ क्रतु॒वित्सो॑म मत्स॒रः । नु॒दस्वादे॑वयुं॒ जन॑म् ॥ (२४)
हे नशीले एवं शत्रुओं को नष्ट करने वाले सोम! तुम हमें बुद्धि देते हुए छनते हो. तुम देवों की अभिलाषा न करने वाले राक्षसों को समाप्त करो. (२४)
O mon who destroys the drug and the enemies! You give us wisdom. You eliminate the demons who do not desire the gods. (24)