हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.63.26

मंडल 9 → सूक्त 63 → श्लोक 26 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 63
पव॑मानास आ॒शवः॑ शु॒भ्रा अ॑सृग्र॒मिन्द॑वः । घ्नन्तो॒ विश्वा॒ अप॒ द्विषः॑ ॥ (२६)
ऋत्विजों द्वारा शीघ्र गति वाले, शोभन, दीप्तिशाली एवं शुद्ध होते हुए सोम, शत्रुओं का हनन करने के लिए निर्मित होते हैं. (२६)
The quick-moving, soothing, glorious and pure mons are created by the Ritvites to abuse the enemies. (26)