हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.67.12

मंडल 9 → सूक्त 67 → श्लोक 12 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 67
अ॒यं त॑ आघृणे सु॒तो घृ॒तं न प॑वते॒ शुचि॑ । आ भ॑क्षत्क॒न्या॑सु नः ॥ (१२)
हे सर्वत्र चमकने वाले पुषा! तुम्हारे लिए निचोड़ा गया यह सोम तुम्हें शुद्ध घी के समान प्राप्त होता है. तुम हमें कमनीय नारियां दो. (१२)
O shining flowers everywhere! This mon squeezed for you gets you similar to pure ghee. You give us commissible women. (12)