ऋग्वेद (मंडल 9)
अ॒चो॒दसो॑ नो धन्व॒न्त्विन्द॑वः॒ प्र सु॑वा॒नासो॑ बृ॒हद्दि॑वेषु॒ हर॑यः । वि च॒ नश॑न्न इ॒षो अरा॑तयो॒ऽर्यो न॑शन्त॒ सनि॑षन्त नो॒ धियः॑ ॥ (१)
विशाल दीप्ति वाले, यज्ञां में निचुड़ते हुए हरितवर्ण सोम अपने-आप हमारे पास आवें. हमें अन्न न देने वाले एवं शत्रु नष्ट हों. देवगण हमारे कर्मो को स्वीकार करें. (१)
Let the green-coloured som automatically come to us, with a huge glow, lying in the yagnas. Let those who do not give us food and destroy our enemies. May the gods accept our deeds. (1)
ऋग्वेद (मंडल 9)
प्र णो॑ धन्व॒न्त्विन्द॑वो मद॒च्युतो॒ धना॑ वा॒ येभि॒रर्व॑तो जुनी॒मसि॑ । ति॒रो मर्त॑स्य॒ कस्य॑ चि॒त्परि॑ह्वृतिं व॒यं धना॑नि वि॒श्वधा॑ भरेमहि ॥ (२)
मद टपकाने वाले सोम एवं धन हमारे पास आवें. इनकी सहायता से हम शक्तिशाली शन्रुओं को जीतें एवं प्रत्येक मनुष्य की बाधा को पार करके सदा धन प्राप्त करें. (२)
Let the mon and money that drip the item come to us. With their help, let us conquer the mighty shantrus and overcome the obstacle of every human being and gain wealth forever. (2)
ऋग्वेद (मंडल 9)
उ॒त स्वस्या॒ अरा॑त्या अ॒रिर्हि ष उ॒तान्यस्या॒ अरा॑त्या॒ वृको॒ हि षः । धन्व॒न्न तृष्णा॒ सम॑रीत॒ ताँ अ॒भि सोम॑ ज॒हि प॑वमान दुरा॒ध्यः॑ ॥ (३)
वे सोम अपने शत्रु के हननकर्तता और हमारे शत्रु के नाशक हैं. जैसे मरुस्थल में लोगों को प्यास घेरे रहती है, वैसे ही सोम शन्रुओं को घेरते हैं. हे सोम! इन दोनों प्रकार के शत्रुओं को मारो. (३)
They are the violators of their enemy and the destroyers of our enemy. Just as people are surrounded by thirst in the desert, so do the soms surround the shanrus. Hey Mon! Kill these two types of enemies. (3)
ऋग्वेद (मंडल 9)
दि॒वि ते॒ नाभा॑ पर॒मो य आ॑द॒दे पृ॑थि॒व्यास्ते॑ रुरुहुः॒ सान॑वि॒ क्षिपः॑ । अद्र॑यस्त्वा बप्सति॒ गोरधि॑ त्व॒च्य१॒॑प्सु त्वा॒ हस्तै॑र्दुदुहुर्मनी॒षिणः॑ ॥ (४)
हे सोम! तुम्हारे उत्तम अंश स्वर्ग में रहकर हव्य ग्रहण करते हैं एवं वहीं से धरती के ऊंचे स्थानों पर गिरकर वृक्ष बन गए हैं. पत्थर तुम्हारा भक्षण करते हैं एवं बुद्धिमान् लोग गाय के चमड़े पर हाथों से तुम्हारा रस निकालते हैं. (४)
O Mon! Your best parts stay in heaven and receive havya and from there they have fallen to the high places of the earth and become trees. Stones feed you and intelligent people extract your juice with their hands on cow's leather. (4)
ऋग्वेद (मंडल 9)
ए॒वा त॑ इन्दो सु॒भ्वं॑ सु॒पेश॑सं॒ रसं॑ तुञ्जन्ति प्रथ॒मा अ॑भि॒श्रियः॑ । निदं॑निदं पवमान॒ नि ता॑रिष आ॒विस्ते॒ शुष्मो॑ भवतु प्रि॒यो मदः॑ ॥ (५)
हे सोम! प्रमुख अध्वर्युजन इस समय शोभन एवं सुंदर रस को निचोड़ते हैं. हे पवमान सोम! तुम हमारे प्रत्येक शत्रु को नष्ट करो. तुम्हारा शक्ति देने वाला, प्रिय एवं नशीला रस प्रकट हो. (५)
Hey Mon! The major sublimations at this time squeeze the beautification and beautiful juice. O Pawman Mon! You destroy each of our enemies. May your power-giving, dear and intoxicating juices appear. (5)