हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.82.5

मंडल 9 → सूक्त 82 → श्लोक 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 82
यथा॒ पूर्वे॑भ्यः शत॒सा अमृ॑ध्रः सहस्र॒साः प॒र्यया॒ वाज॑मिन्दो । ए॒वा प॑वस्व सुवि॒ताय॒ नव्य॑से॒ तव॑ व्र॒तमन्वापः॑ सचन्ते ॥ (५)
हे सोम! तुमने जिस प्रकार पूर्ववर्ती महर्षियों को सैकड़ों एवं हजारों संपत्तियां दी थीं, उसी प्रकार इस समय हमारी नवीन उन्नति के लिए टपको. जल तुम्हारे कर्म के लिए तुमसे मिलते हैं. (५)
Hey Mon! Just as you gave hundreds and thousands of properties to the erstwhile Maharishis, so at this time, tapko for our new advancement. Water meet you for your karma. (5)