हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.84.4

मंडल 9 → सूक्त 84 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 84
ए॒ष स्य सोमः॑ पवते सहस्र॒जिद्धि॑न्वा॒नो वाच॑मिषि॒रामु॑ष॒र्बुध॑म् । इन्दुः॑ समु॒द्रमुदि॑यर्ति वा॒युभि॒रेन्द्र॑स्य॒ हार्दि॑ क॒लशे॑षु सीदति ॥ (४)
हजारों धनों के नेता सोम स्तोत्रों के प्रति जाने वाली व प्रात:काल प्रबुद्ध वाणी को प्रेरित करते हुए पवित्र होते हैं एवं वायु द्वारा प्रेरित होकर इंद्र के प्रिय द्रोणकलश में जाते हैं. (४)
The leaders of thousands of wealth are holy, inspiring the enlightened voice of the Som stotras in the morning and inspired by the wind, and go to Indra's beloved Dronakalash, inspired by the wind. (4)