हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.86.22

मंडल 9 → सूक्त 86 → श्लोक 22 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 86
पव॑स्व सोम दि॒व्येषु॒ धाम॑सु सृजा॒न इ॑न्दो क॒लशे॑ प॒वित्र॒ आ । सीद॒न्निन्द्र॑स्य ज॒ठरे॒ कनि॑क्रद॒न्नृभि॑र्य॒तः सूर्य॒मारो॑हयो दि॒वि ॥ (२२)
हे कलश एवं दशापवित्र में निर्मित एवं दीप्त सोम! तुम देवों के उदरों में निचुड़ो. इंद्र के पेट में जाकर शब्द करने वाले एवं ऋत्विजों द्वारा बुलाए हुए सोम ने सूर्य को द्युलोक में आरोहित किया. (२२)
O kalash and dashapavitra made and bright soma! You slip into the belly of the gods. Som, who went to Indra's stomach and was called by the ritwijas, ascended the sun to the doloka. (22)