हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.86.5

मंडल 9 → सूक्त 86 → श्लोक 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 86
विश्वा॒ धामा॑नि विश्वचक्ष॒ ऋभ्व॑सः प्र॒भोस्ते॑ स॒तः परि॑ यन्ति के॒तवः॑ । व्या॒न॒शिः प॑वसे सोम॒ धर्म॑भिः॒ पति॒र्विश्व॑स्य॒ भुव॑नस्य राजसि ॥ (५)
हे सबको देखने वाले प्रभु सोम! तुम्हारी विस्तृत किरणें सभी तेजों को प्रकाशित करती हैं. हे व्यापक सोम! तुम रस-धाराओं के रूप में निचुड़ते हो एवं सकल भुवन के स्वामी के रूप में सुशोभित होते हो. (५)
O Lord who sees all! Your wide rays illuminate all the radiances. O broad Mon! You are nished as streams of juices and adorned as masters of the gross bhuvana. (5)