ऋग्वेद (मंडल 9)
चत॑स्र ईं घृत॒दुहः॑ सचन्ते समा॒ने अ॒न्तर्ध॒रुणे॒ निष॑त्ताः । ता ई॑मर्षन्ति॒ नम॑सा पुना॒नास्ता ईं॑ वि॒श्वतः॒ परि॑ षन्ति पू॒र्वीः ॥ (५)
घी देने वाली चार गाएं इस सोम की सेवा करती हैं. वे गाएं सबको धारण करने वाले अंतरिक्ष में एक साथ बैठी हैं. अन्न के द्वारा पवित्र होने वाली वे अनेक विशाल गाएं सोम को चारों ओर से व्याप्त करती हैं. (५)
The four ghee-giving cows serve this mon. They sing all of them are sitting together in the space holding. Many of those huge cows that are sanctified by food spread the som from all around. (5)