ऋग्वेद (मंडल 9)
ब्र॒ह्मा दे॒वानां॑ पद॒वीः क॑वी॒नामृषि॒र्विप्रा॑णां महि॒षो मृ॒गाणा॑म् । श्ये॒नो गृध्रा॑णां॒ स्वधि॑ति॒र्वना॑नां॒ सोमः॑ प॒वित्र॒मत्ये॑ति॒ रेभ॑न् ॥ (६)
ऋत्विजों के ब्रह्मा, कवियों की पदरचना करने वाले, बुद्धिमानों के ऋषि, जंगली जानवरों के भैंसे, पक्षियों के बाज एवं अस्त्रों के स्वधिति सोम शब्द करते हुए दशापवित्र से पार जाते हैं. (६)
Brahma of the Ritvijas, the masters of the poets, the sages of the wise, the buffaloes of wild animals, the hawks of birds and the swadhiti of the weapons, go beyond the Dashapavitra, saying the word 'Som'. (6)