हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद (अध्याय 1)

सामवेद: | खंड: 10
सोमँ राजानं वरुणमग्निमन्वारभामहे । आदित्यं विष्णुँ सूर्यं ब्रह्मानं च बृहस्पतिम् ॥ (१)
हम सोम, राजा, वरुण, अग्नि, अदिति के पुत्र, विष्णु, सूर्य एवं ब्रह्मा को बारबार याद करते हुए आमंत्रित करते हैं. अर्थात्‌ इन सभी देवताओं को स्तुतियों से आमंत्रित करते हैं. (१)
We invite Som, Raja, Varuna, Agni, Aditi's son, Vishnu, Surya and Brahma to remember them again and again. That is, all these gods are invited by praises. (1)

सामवेद (अध्याय 1)

सामवेद: | खंड: 10
इत एत उदारुहन्दिवः पृष्ठान्या रुहन् । प्र भूर्जयो यथा पथोद्यामङ्गिरसो ययुः ॥ (२)
यज्ञ करने वाले आंगिरस ऋषि स्वर्गलोक को पहुंचे. उसी के प्रभाव से और भी ऊपर गए. (२)
The sage Angiras, who performed the yajna, reached heaven. The effect of the same went even higher. (2)

सामवेद (अध्याय 1)

सामवेद: | खंड: 10
राये अग्ने महे त्वा दानाय समिधीमहि । ईडिष्वा हि महे वृषं द्यावा होत्राय पृथिवी ॥ (३)
हे अग्नि! हम बहुत धन दान के लिए आप को प्रदीप्त करते हैं. आप वरदान की वर्षा करने वाले हैं. महान यज्ञ के लिए स्वर्गलोक और पृथ्वीलोक की स्तुति करते हैं. (३)
O agni! We glorify you for donating a lot of money. You are going to shower boons. Praise heaven and earth for great sacrifice. (3)

सामवेद (अध्याय 1)

सामवेद: | खंड: 10
दधन्वे वा यदीमनु वोचद्ब्रह्मेति वेरु तत् । परि विश्वानि काव्या नेमिश्चक्रमिवाभुवत् ॥ (४)
हे अग्नि! आप को संबोधित कर के अध्वर्यु आदि पुरोहित स्तोत्र उचारते हैं. आप सब कुछ जानते हैं. आप सब कमों को वैसे ही वश में रखते हैं, जैसे पहिए गाड़ी को. (४)
O agni! By addressing you, the priests like Adhwaryu etc. recite stotras. You know everything. You control everything in the same way as the wheel car. (4)

सामवेद (अध्याय 1)

सामवेद: | खंड: 10
प्रत्यग्ने हरसा हरः श‍ृणाहि विश्वतस्परि । यातुधानस्य रक्षसो बलं न्युब्जवीर्यम् ॥ (५)
हे अग्नि! आप अपने तेज से यातना देने वाले राक्षसों को सब ओर (प्रकार) से नष्ट कर दीजिए. (५)
O agni! Destroy your sharply tortured demons everywhere (types). (5)

सामवेद (अध्याय 1)

सामवेद: | खंड: 10
त्वमग्ने वसूँरिह रुद्राँ आदित्याँ उत । यजा स्वध्वरं जनं मनुजातं घृतप्रुषम् ॥ (६)
हे अग्नि! आप यहां वसु, रुद्र एवं आदित्य देवता के लिए यज्ञ कीजिए. आप उत्तम यज्ञ करने वाले, घी से सींचने वाले, मनु से उत्पन्न हुए मनुष्य का सत्कार (मनोकामना सिद्धि द्वारा) कीजिए. (६)
O agni! You perform yagna for Vasu, Rudra and Aditya devta here. You should felicitate the person who performs the best yajna, the one who irrigates with ghee, the person born of Manu (by manokamna siddhi). (6)