सामवेद (अध्याय 1)
राये अग्ने महे त्वा दानाय समिधीमहि । ईडिष्वा हि महे वृषं द्यावा होत्राय पृथिवी ॥ (३)
हे अग्नि! हम बहुत धन दान के लिए आप को प्रदीप्त करते हैं. आप वरदान की वर्षा करने वाले हैं. महान यज्ञ के लिए स्वर्गलोक और पृथ्वीलोक की स्तुति करते हैं. (३)
O agni! We glorify you for donating a lot of money. You are going to shower boons. Praise heaven and earth for great sacrifice. (3)