सामवेद (अध्याय 1)
श्रुष्ट्यग्ने नवस्य मे स्तोमस्य वीर विश्पते । नि मायिनस्तपसा रक्षसो दह ॥ (१०)
हे अग्नि! आप वीर हैं. हमारी इन नई प्रार्थनाओं को सुन कर छली, दुष्ट राक्षसों को अपने ताप से भस्म कीजिए. राक्षस हमारे कमों में विघ्न डालते हैं. (१०)
O agni! You are heroic. Listen to these new prayers of ours, consume the deceitful demons with your heat. Demons disturb our shortcomings. (10)