हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 1.11.2

अध्याय 1 → खंड 11 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 1)

सामवेद: | खंड: 11
प्र होत्रे पूर्व्यं वचोऽग्नये भरता बृहत् । विपां ज्योतीँषि बिभ्रते न वेधसे ॥ (२)
हे स्तुति करने वालो! अग्नि ज्ञानियों के तेज को धारण करने वाले हैं. विधाता आदि देवों को बुलाने वाले हैं. आप इन के लिए महान और प्राचीन स्तोत्र का पाठ कीजिए. (२)
O praisers! Agni is the one who holds the glory of the wise. Vidhata etc. are going to call the gods. You recite great and ancient hymns for them. (2)