हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 1.12.2

अध्याय 1 → खंड 12 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 1)

सामवेद: | खंड: 12
प्र सो अग्ने तवोतिभिः सुवीराभिस्तरति वाजकर्मभिः । यस्य त्वँ सख्यमाविथ ॥ (२)
हे अग्नि! आप जिन यजमानों के मित्र हो जाते हैं, वे अन्नबल की रक्षा करने वाली श्रेष्ठ संतान प्राप्त करते हैं. (२)
O agni! The hosts you become friends with get the best children who protect the grain. (2)