हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 1.12.3

अध्याय 1 → खंड 12 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 1)

सामवेद: | खंड: 12
तं गूर्धया स्वर्णरं देवासो देवमरतिं दधन्विरे । देवत्रा हव्यमूहिषे ॥ (३)
हे स्तुति करने वालो! स्वर्ग में देवताओं तक हवि पहुंचाने वाले अग्नि की स्तुति करो. आप जिस देवता को इष्ट मान कर पूजते हैं, आप की हवि अग्नि उस देवता तक पहुंचा देते हैं. (३)
O praisers! Praise the agni that brings glory to the gods in heaven. The god you worship as a favor, your havi agni reaches that deity. (3)