हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 1.2.3

अध्याय 1 → खंड 2 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 1)

सामवेद: | खंड: 2
उप त्वा जामयो गिरो देदिशतीर्हविष्कृतः । वायोरनीके अस्थिरन् ॥ (३)
हे अग्नि! यजमान की वाणी से प्रकट होने वाली श्रेष्ठ स्तुतियां आप का गुणगान कर रही हैं. हम आप को वायु के पास स्थापित करते हैं. (३)
O agni! The best praises revealed by the voice of the host are praising you. We install you near the air. (3)