सामवेद (अध्याय 1)
प्रैतु ब्रह्मणस्पतिः प्र देव्येतु सूनृता । अच्छा वीरं नर्यं पङ्क्तिराधसं देवा यज्ञं नयन्तु नः ॥ (२)
हमें ब्रह्मणस्पति देवता प्राप्त हों (यानी हमारे पास पहुंचें). सत्य और प्रिय देवी एवं वाग् देवता (वाणी के देवता) हमें प्राप्त हों. सभी देवगण हमारे शत्रुओं का नाश करें. कल्याणकारी यश देने वाले वीर को सब देवता श्रेष्ठ मार्ग से ले जाएं. (२)
May we receive brahmanaspati deities (i.e. reach us). May we get truth and beloved goddesses and vagu devtas (gods of speech). May all gods destroy our enemies. All the gods should take the hero who gives welfare fame on the best path. (2)