हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 1.6.8

अध्याय 1 → खंड 6 → मंत्र 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 1)

सामवेद: | खंड: 6
सखायस्त्वा ववृमहे देवं मर्तास ऊतये । अपां नपातँ सुभगँ सुदँससँ सुप्रतूर्तिमनेहसम् ॥ (८)
हे अग्नि! आप हमारे सखा हैं. आप श्रेष्ठ कर्म करने वाले हैं. मनुष्य की शीघ्र इच्छा पूर्ति करते हैं. आप धन के स्वामी व जल को धारण करने वाले हैं. हम समान बुद्धि वाले सभी साधक आप से अपने संरक्षण की प्रार्थना करते हैं. (८)
O agni! You are our friend. You are going to do the best deeds. Fulfill man's desire quickly. You are the swami of wealth and the one who holds water. We all seekers with the same intellect pray to you for our protection. (8)