सामवेद (अध्याय 10)
पुनानो देववीतय इन्द्रस्य याहि निष्कृतम् । द्युतानो वाजिभिर्हितः ॥ (१४)
हे सोम! आप पवित्र व दिव्य हैं. आप को इंद्र और देवताओं के लिए परिष्कृत किया जाता है. आप हित साधक, दयुतिमान व शक्तिशाली हैं. आप इंद्र तक पहुंचने की कृपा कीजिए. (१४)
O Mon! You are pure and divine. You are refined for Indra and the gods. You are a seeker, a strong and powerful person. Please reach out to Indra. (14)