सामवेद (अध्याय 10)
विघ्नन्तो दुरिता पुरु सुगा तोकाय वाजिनः । त्मना कृण्वन्तो अर्वतः ॥ (२)
हे सोम! आप शक्तिदाता, पापनाशी व हमारी पीठ़ियों को पशु धन देते हैं. आप अपना मार्ग स्वयं निर्मित करते हैं. (२)
O Mon! You give power, papanashida and livestock to our chairs. You create your own path. (2)