हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 10.2.11

अध्याय 10 → खंड 2 → मंत्र 11 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 10)

सामवेद: | खंड: 2
उग्रा विघनिना मृध इन्द्राग्नी हवामहे । ता नो मृडात ईदृशे ॥ (११)
हे इंद्र! हे अग्नि! आप उग्र व विघ्ननाशी हैं. हम यज्ञ में आप दोनों देवों का आह्वान करते हैं. आप दोनों देव हमें सुखी बनाने की कृपा कीजिए. (११)
O Indra! O agni! You are furious and obstructionist. We invoke both of you gods in the yajna. Please both of you Gods to make us happy. (11)