हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 10.2.12

अध्याय 10 → खंड 2 → मंत्र 12 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 10)

सामवेद: | खंड: 2
हथो वृत्राण्यार्या हथो दासानि सत्पती । हथो विश्वा अप द्विषः ॥ (१२)
हे इंद्र! हे अग्नि! आप श्रेष्ठ देव, आर्यो के पालनहार सभी द्वेषों को दूर करने वाले व सत्पति हैं. आप दुश्मनों को दूर करने वाले हैं. (१२)
O Indra! O agni! You are the best god, the sustainer of the Aryans, the remover of all hatreds and the satpati. You are going to remove enemies. (12)