हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 10.2.3

अध्याय 10 → खंड 2 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 10)

सामवेद: | खंड: 2
यो अग्निं देववीतये हविष्माँ आविवासति । तस्मै पावक मृडय ॥ (३)
हे अग्नि! आप हविमान हैं. हम देवताओं को हवि पहुंचाने के लिए आप से अनुरोध करते हैं. आप पवित्र हैं. आप हमें सुखी बनाने की कृपा कीजिए. (३)
O agni! You are a human being. We request you to deliver havi to the gods. You are holy. Please make us happy. (3)