हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 10.2.5

अध्याय 10 → खंड 2 → मंत्र 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 10)

सामवेद: | खंड: 2
ऋतेन मित्रावरुणावृतावृधावृतस्पृशा । क्रतुं बृहन्तमाशाथे ॥ (५)
हे मित्र! हे वरुण! आप सत्य के रक्षक हैं. आप यज्ञ को सफल बनाते हैं. आप हमें भी पुण्यशाली व सत्य का रक्षक बनाइए. (५)
Hey friend! O Varuna! You are the protector of truth. You make the yajna a success. You also make us virtuous and protectors of truth. (5)