हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 10.3.5

अध्याय 10 → खंड 3 → मंत्र 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 10)

सामवेद: | खंड: 3
सोमं गावो धेनवो वावशानाः सोमं विप्रा मतिभिः पृच्छमानाः । सोमः सुत ऋच्यते पूयमानः सोमे अर्कास्त्रिष्टुभः सं नवन्ते ॥ (५)
हे सोम! दुधारू गाएं आप को चाहती हैं. ब्राह्मण पूछते हुए सोम को चाहते हैं. सुत (यजमान) पवित्र सोम को चाहते हैं. यजमान त्रिष्टुप्‌ छंद में रची गई प्रार्थनाओं से सोम की उपासना करते हैं. (५)
O Mon! Milch cows want you to. Brahmins want Som, asking. Sut (host) wants the holy Soma. The hosts worship Soma with the prayers composed in the Trishtup verse. (5)