हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 10.3.6

अध्याय 10 → खंड 3 → मंत्र 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 10)

सामवेद: | खंड: 3
एवा नः सोम परिषिच्यमान आ पवस्व पूयमानः स्वस्ति । इन्द्रमा विश बृहता मदेन वर्धया वाचं जनया पुरन्धिम् ॥ (६)
हे सोम! आप हमारे हित हेतु परिष्कृत होने की कृपा कीजिए. आप पवित्र होइए. आप हमारा कल्याण कीजिए. आप हमे श्रेष्ठ बुद्धि दीजिए. आप हमारी प्रार्थना स्वीकारिए. आप इंद्र को तृप्त कीजिए. (६)
O Mon! Please be sophisticated for our benefit. You be holy. You do us welfare. You give us the best wisdom. You accept our prayer. You satisfy Indra. (6)