हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद (अध्याय 11)

सामवेद: | खंड: 1
प्र त आश्विनीः पवमान धेनवो दिव्या असृग्रन्पयसा धरीमणि । प्रान्तरिक्षात्स्थाविरीस्ते असृक्षत ये त्वा मृजन्त्यृषिषाण वेधसः ॥ (१)
हे सोम! आप पवित्र हैं और आप की दुधारू गाएं दिव्य हैं. उन के दूध की धाराएं वेगपूर्वक द्रोणकलश में पहुंचती हैं. ऋषि शुद्ध सोमरस का सेवन करते हैं. अंतरिक्ष से उस की धाराओं को बरतन में पहुंचाते हैं. (१)
O Mon! You are holy and your milch songs are divine. The streams of their milk reach the dronalash rapidly. Sages consume pure somersa. Deliver its streams from space to the kitchenware. (1)

सामवेद (अध्याय 11)

सामवेद: | खंड: 1
उभयतः पवमानस्य रश्मयो ध्रुवस्य सतः परि यन्ति केतवः । यदी पवित्रे अधि मृज्यते हरिः सत्ता नि योनौ कलशेषु सीदति ॥ (२)
हे सोम! स्थिर स्वभाव वाले आप को जब छाना जाता है तो आप की किरणें चारों ओर फैलती हैं. हरा सोमरस छलनी में छाना जाता है तो वह द्रोणकलश में रहता है. सोम स्थिर रहने के इच्छुक हैं. (२)
O Mon! When you are filtered with a stable nature, your rays spread all around. If the green somrus is filtered in the sieve, then it lives in Dronalash. Som is keen to remain stable. (2)

सामवेद (अध्याय 11)

सामवेद: | खंड: 1
विश्वा धामानि विश्वचक्ष ऋभ्वसः प्रभोष्टे सतः परि यन्ति केतवः । व्यानशी पवसे सोम धर्मणा पतिर्विश्वस्य भुवनस्य राजसि ॥ (३)
हे सोम! आप सर्वद्रष्टा व शक्तिशाली हैं. आप की बड़ीबड़ी किरणें सब ओर व्यापने वाली व प्रकाश फैलाने वाली हैं. आप पवित्र व विश्वपति हैं. आप भुवन में सुशोभित होते हैं. (३)
O Mon! You are omnipresent and powerful. Your big rays are widespread and spreading light all over. You are pure and faithful. You are adorned in bhuvan. (3)

सामवेद (अध्याय 11)

सामवेद: | खंड: 1
पवमानो अजीजनद्दिवश्चित्रं न तन्यतुम् । ज्योतिर्वैश्वानरं बृहत् ॥ (४)
हे सोम! आप पवित्र हैं. सोम स्वर्गलोक में बिजली जैसा विशाल वैश्वानर नामक तेज उपजाते हैं. (४)
O Mon! You are holy. Som grows a huge electricity-like fast called Vaishwanar in Swarglok. (4)

सामवेद (अध्याय 11)

सामवेद: | खंड: 1
पवमान रसस्तव मदो राजन्नदुच्छुनः । वि वारमव्यमर्षति ॥ (५)
हे सोम! आप पवित्र व मदकारी हैं. आप का रस राक्षसों के लिए वर्जित है. आप का रस भेड़ के बालों से बनी छलनी में छन कर द्रोणकलश तक पहुंचता है. (५)
O Mon! You are holy and drunkard. Your juice is forbidden to monsters. Your juice reaches dronalash by filtering it in a sieve made of sheep's hair. (5)

सामवेद (अध्याय 11)

सामवेद: | खंड: 1
पवमानस्य ते रसो दक्षो वि राजति द्युमान् । ज्योतिर्विश्वँ स्वर्दृशे ॥ (६)
हे सोम! आप पवित्र हैं. आप का रस बलवान व चमकीला है. आप सर्वत्र व्याप्त एवं आप का प्रकाश (ज्योति) सर्वत्र दिखाई देता है. (६)
O Mon! You are holy. Your juice is strong and bright. You are everywhere and your light (light) is visible everywhere. (6)

सामवेद (अध्याय 11)

सामवेद: | खंड: 1
प्र यद्गावो न भूर्णयस्त्वेषा अयासो अक्रमुः । घ्नन्तः कृष्णामप त्वचम् ॥ (७)
हे सोम! आप गायों के समान गतिशील, प्रकाशमान व काली चमड़ी को हटा कर द्रोणकलश में प्रवेश करते हैं. आप की स्तुति की जाती है. (७)
O Mon! You enter the dronakshalash by removing the moving, bright and black skin like cows. You are praised. (7)

सामवेद (अध्याय 11)

सामवेद: | खंड: 1
सुवितस्य मनामहेऽति सेतुं दुराय्यम् । साह्याम दस्युमव्रतम् ॥ (८)
हे सोम! आप सुखद हैं. हम कठिनाई से बंधक बनने वाले राक्षसों के बंधन की प्रार्थना करते हैं. अव्रती (अच्छे काम न करने वाले) के नाश की कामना करते हैं. (८)
O Mon! You are pleasant. We pray for the bondage of demons who have become hostages with difficulty. Wish for the destruction of avratis (those who do not do good work). (8)
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