हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 11.1.2

अध्याय 11 → खंड 1 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 11)

सामवेद: | खंड: 1
उभयतः पवमानस्य रश्मयो ध्रुवस्य सतः परि यन्ति केतवः । यदी पवित्रे अधि मृज्यते हरिः सत्ता नि योनौ कलशेषु सीदति ॥ (२)
हे सोम! स्थिर स्वभाव वाले आप को जब छाना जाता है तो आप की किरणें चारों ओर फैलती हैं. हरा सोमरस छलनी में छाना जाता है तो वह द्रोणकलश में रहता है. सोम स्थिर रहने के इच्छुक हैं. (२)
O Mon! When you are filtered with a stable nature, your rays spread all around. If the green somrus is filtered in the sieve, then it lives in Dronalash. Som is keen to remain stable. (2)