हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 11.1.4

अध्याय 11 → खंड 1 → मंत्र 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 11)

सामवेद: | खंड: 1
पवमानो अजीजनद्दिवश्चित्रं न तन्यतुम् । ज्योतिर्वैश्वानरं बृहत् ॥ (४)
हे सोम! आप पवित्र हैं. सोम स्वर्गलोक में बिजली जैसा विशाल वैश्वानर नामक तेज उपजाते हैं. (४)
O Mon! You are holy. Som grows a huge electricity-like fast called Vaishwanar in Swarglok. (4)