सामवेद (अध्याय 11)
पवमान रसस्तव मदो राजन्नदुच्छुनः । वि वारमव्यमर्षति ॥ (५)
हे सोम! आप पवित्र व मदकारी हैं. आप का रस राक्षसों के लिए वर्जित है. आप का रस भेड़ के बालों से बनी छलनी में छन कर द्रोणकलश तक पहुंचता है. (५)
O Mon! You are holy and drunkard. Your juice is forbidden to monsters. Your juice reaches dronalash by filtering it in a sieve made of sheep's hair. (5)