हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 11.1.5

अध्याय 11 → खंड 1 → मंत्र 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 11)

सामवेद: | खंड: 1
पवमान रसस्तव मदो राजन्नदुच्छुनः । वि वारमव्यमर्षति ॥ (५)
हे सोम! आप पवित्र व मदकारी हैं. आप का रस राक्षसों के लिए वर्जित है. आप का रस भेड़ के बालों से बनी छलनी में छन कर द्रोणकलश तक पहुंचता है. (५)
O Mon! You are holy and drunkard. Your juice is forbidden to monsters. Your juice reaches dronalash by filtering it in a sieve made of sheep's hair. (5)