सामवेद (अध्याय 11)
पवमानस्य ते रसो दक्षो वि राजति द्युमान् । ज्योतिर्विश्वँ स्वर्दृशे ॥ (६)
हे सोम! आप पवित्र हैं. आप का रस बलवान व चमकीला है. आप सर्वत्र व्याप्त एवं आप का प्रकाश (ज्योति) सर्वत्र दिखाई देता है. (६)
O Mon! You are holy. Your juice is strong and bright. You are everywhere and your light (light) is visible everywhere. (6)