सामवेद (अध्याय 11)
ब्रह्मा देवानां पदवीः कवीनां ऋषिर्विप्राणां महिषोमृगाणाम् । श्येनो गृध्राणाँ स्वधितिर्वनानाँ सोमः पवित्रमत्येति रेभन् ॥ (१०)
सोम ब्रह्मज्ञानी, देवताओं, कवियों, ऋषियों, पशुओं, मृगों, बाज, गृध्रों व वनस्पतियों में व्याप्त हैं. सोम आवाज करता हुआ द्रोणकलश में जाता है. (१०)
Som is a brahmagyani, apostles, gods, poets, sages, animals, antelopes, eagles, donkeys and flora. Som goes to Dronakalash making a sound. (10)