हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 11.6.7

अध्याय 11 → खंड 6 → मंत्र 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 11)

सामवेद: | खंड: 6
धीभिर्मृजन्ति वाजिनं वने क्रीडन्तमत्यविम् । अभि त्रिपृष्ठं मतयः समस्वरन् ॥ (७)
यजमान बलवान सोमरस को बुद्धिपूर्वक परिष्कृत करते हैं. सोम वन में क्रीड़ा करते हैं. समान स्वर में (एक साथ) बुद्धिपूर्वक प्रार्थना गा कर यजमान तीन बरतनों में रखे सोमरस की उपासना करते हैं. (७)
The host intelligently refines the mighty Somersa. Som plays in the forest. By singing prayers wisely in the same tone (together), the host worships Someras kept in three vessels. (7)