सामवेद (अध्याय 12)
त्वँ सोम नृमादनः पवस्व चर्षणीधृतिः । सस्निर्यो अनुमाद्यः ॥ (११)
हे सोम! आप पवित्र व मनुष्यों के लिए मददायी हैं. आप परिष्कृति (शुद्धता) के बाद यजमान द्वारा (देवों को चढ़ाने के लिए) धारण किए जाते हैं. (११)
O Mon! You are holy and beneficial to human beings. You are worn by the host (to offer to the devas) after the finish (purity). (11)