हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 12.1.2

अध्याय 12 → खंड 1 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 12)

सामवेद: | खंड: 1
त्वं नृचक्षा असि सोम विश्वतः पवमान वृषभ ता वि धावसि । स नः पवस्व वसुमद्धिरण्यवद्वयँ स्याम भुवनेषु जीवसे ॥ (२)
हे सोम! आप पवित्र, स्फूर्तिदायी, सर्वव्यापक व सर्वज्ञाता हैं. आप दोड़ते हुए हमारे पास पधारिए. आप हमें धनवान बनाइए. आप की कृपा से हम सभी लोकों में श्रेष्ठ जीवन जीएं. (२)
O Mon! You are pure, energetic, omnipresent and omniscient. You come to us running. You make us rich. By your grace, let us live a superior life in all the worlds. (2)