हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 12.1.4

अध्याय 12 → खंड 1 → मंत्र 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 12)

सामवेद: | खंड: 1
पवमानस्य विश्ववित्प्र ते सर्गा असृक्षत । सूर्यस्येव न रश्मयः ॥ (४)
हे सोम! आप पवित्र व सर्वज्ञाता हैं. सूर्य की तरह आप की किरणें (रशिभियां) स्वर्ग से फैल रही हैं. (४)
O Mon! You are holy and omniscient. Like the sun, your rays are spreading from heaven. (4)