सामवेद (अध्याय 12)
पवमानस्य विश्ववित्प्र ते सर्गा असृक्षत । सूर्यस्येव न रश्मयः ॥ (४)
हे सोम! आप पवित्र व सर्वज्ञाता हैं. सूर्य की तरह आप की किरणें (रशिभियां) स्वर्ग से फैल रही हैं. (४)
O Mon! You are holy and omniscient. Like the sun, your rays are spreading from heaven. (4)