सामवेद (अध्याय 12)
परि विश्वानि चेतसा मृज्यसे पवसे मती । स नः सोम श्रवो विदः ॥ (३)
हे सोम! आप सर्वज्ञाता हैं. आप विश्व को चेतनामय बनाते हैं. आप को बुद्धिपूर्वक परिष्कृत किया जाता है. आप हमारी स्तुतियों को सुनने की कृपा कीजिए. (३)
O Mon! You are omniscient. You make the world conscious. You are intelligently refined. Please listen to our praises. (3)