सामवेद (अध्याय 12)
इषं तोकाय नो दधदस्मभ्यँ सोम विश्वतः । आ पवस्व सहस्रिणम् ॥ (३)
हे सोम! आप हमारे लिए सभी प्रकार के वैभव सभी ओर से प्रदान कीजिए. आप हजारों धाराओं से झरने की कृपा कीजिए. (३)
O Mon! You provide all kinds of splendour for us from all sides. Please shower thousands of streams. (3)