सामवेद (अध्याय 13)
शुम्भमानो ऋतायुभिर्मृज्यमाना गभस्त्योः । पवन्ते वारे अव्यये ॥ (५)
हे सोम! यजमानों के हाथों से तैयार, परिष्कृत व जल मिला कर तैयार किया गया सोमरस सुशोभित हो रहा है. (५)
O Mon! Someras, prepared, refined and prepared by mixing water with the hands of the hosts, is being adorned. (5)