हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 13.1.5

अध्याय 13 → खंड 1 → मंत्र 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 13)

सामवेद: | खंड: 1
शुम्भमानो ऋतायुभिर्मृज्यमाना गभस्त्योः । पवन्ते वारे अव्यये ॥ (५)
हे सोम! यजमानों के हाथों से तैयार, परिष्कृत व जल मिला कर तैयार किया गया सोमरस सुशोभित हो रहा है. (५)
O Mon! Someras, prepared, refined and prepared by mixing water with the hands of the hosts, is being adorned. (5)