सामवेद (अध्याय 14)
नाभा नाभिं न आ ददे चक्षुषा सूर्य दृशे । कवेरपत्यमा दुहे ॥ (११)
सोम विद्वान् हैं. उन्हें हम अपने और अपनी संतान के कल्याण के लिए अपनी नाभि के पास स्थापित करते हैं. सोम यज्ञ की नाभि जैसे हैं. नेत्रों से जैसे हम सूर्य के दर्शन करते हैं, वैसे ही हम इन के (सोम के) दर्शन करें. (११)
Som is a scholar. We install them near our navel for the welfare of ourselves and our children. Soma is like the navel of yajna. Just as we see the sun with the eyes, so should we see him (Soma). (11)