हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 14.2.6

अध्याय 14 → खंड 2 → मंत्र 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 14)

सामवेद: | खंड: 2
अव्या वारे परि प्रियो हरिर्वनेषु सीदति । रेभो वनुष्यते मति ॥ (६)
सोमरस जल से ओतप्रोत और हरी आभा वाला है. सोम यजमान की प्रार्थनाओं को स्वीकार रहे हैं. वे आवाज करते हुए द्रोणकलश में स्थान ग्रहण कर रहे हैं. (६)
Someras is full of water and has a green aura. Som is accepting the prayers of the host. They are taking place in Dronakalash while making a sound. (6)