हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 15.2.3

अध्याय 15 → खंड 2 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 15)

सामवेद: | खंड: 2
पवन्ते वाजसातये सोमाः सहस्रपाजसः । गृणाना देववीतये ॥ (३)
हे सोम! आप अन्न प्रदान करने के लिए अपनी सहस्र धाराओं से झरिए. देवताओं को भेंट करने के लिए आप को परिष्कृत किया जाता है. (३)
O Mon! You jump with your thousand streams to provide food. You are refined to offer to the gods. (3)