हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 15.3.1

अध्याय 15 → खंड 3 → मंत्र 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 15)

सामवेद: | खंड: 3
सोमा असृग्रमिन्दवः सुता ऋतस्य धारया । इन्द्राय मधुमत्तमाः ॥ (१)
हे सोम! आप अग्रगामी व मधुरतम हैं. आप को ऋत्‌ की धारा के साथ इंद्र के लिए प्रस्तुत किया जाता है. (१)
O Mon! You are the forerunner and the sweetest. You are presented to Indra with the stream of Rita. (1)