सामवेद (अध्याय 15)
अभि प्रिया दिवः कविर्विप्रः स धारया सुतः । सोमो हिन्वे परावति ॥ (९)
हे सोम! आप स्वर्गलोक वासी, कवि और ब्राह्मण हैं. आप हमारे प्रिय स्थान (यज्ञ स्थान) की ओर अपनी प्रिय प्रेरणाओं का संचार करते हैं. (९)
O Mon! You are a resident of heaven, a poet and a Brahmin. You communicate your beloved inspirations towards our beloved place (yajna sthan). (9)