हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 15.4.2

अध्याय 15 → खंड 4 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 15)

सामवेद: | खंड: 4
प्रसवे त उदीरते तिस्रो वाचो मखस्युवः । यदव्य एषि सानवि ॥ (२)
हे सोम! आप के प्रसव (उत्पन्न) होने के बाद यजमान के मुख से तीन वाणियां (ऋगवेद, यजुर्वेद और सामवेद के मंत्रों की) उच्चरित होती हैं. तत्पश्चात आप को ऊंचे स्थान पर बैठा कर परिष्कृत किया जाता है. (२)
O Mon! After you are born, three verses (of mantras of RigVeda, Yajurveda and Samaveda) are recited from the mouth of the host. After that you are refined by sitting in a high position. (2)