सामवेद (अध्याय 15)
अया वीती परि स्रव यस्त इन्दो मदेष्वा । अवाहन्नवतीर्नव ॥ (१)
हे सोम! आप इंद्र के लिए परिष्कृत होइए. आप इंद्र को आनंद प्रदान कीजिए. आप नएनए कष्टों को दूर करने की कृपा कीजिए. (१)
O Mon! You be sophisticated for Indra. You give pleasure to Indra. Please remove your sufferings. (1)