हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 15.5.1

अध्याय 15 → खंड 5 → मंत्र 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 15)

सामवेद: | खंड: 5
अया वीती परि स्रव यस्त इन्दो मदेष्वा । अवाहन्नवतीर्नव ॥ (१)
हे सोम! आप इंद्र के लिए परिष्कृत होइए. आप इंद्र को आनंद प्रदान कीजिए. आप नएनए कष्टों को दूर करने की कृपा कीजिए. (१)
O Mon! You be sophisticated for Indra. You give pleasure to Indra. Please remove your sufferings. (1)