हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 15.5.3

अध्याय 15 → खंड 5 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 15)

सामवेद: | खंड: 5
परि नो अश्वमश्वविद्गोमदिन्दो हिरण्यवत् । क्षरा सहस्रिणीरिषः ॥ (३)
हे सोम! आप हमें अश्चों का ज्ञाता बनाइए. आप हमें अश्ववान, गोवान व स्वर्णवान बनाइए. आप सहस्र धाराओं से झरने की कृपा कीजिए. (३)
O Mon! You make us knowers of horses. You make us horse- and goan and golden. Please shower thousands of streams. (3)