सामवेद (अध्याय 15)
पवस्व सोम महान्त्समुद्रः पिता देवानां विश्वाभि धाम ॥ (७)
हे सोम! आप पवित्र, रसीले व पालक हैं. देवताओं के सभी धामों को अपने दिव्य रस से परिपूर्ण करने की कृपा कीजिए. (७)
O Mon! You are pure, succulent and spinach. Please fill all the dhams of the gods with your divine juice. (7)